WHY USE HIGH VOLTAGE IN POWER TRANSMISSION LINE IN HINDI ……….

आज हम ट्रांसमिशन लाइन के वोल्टेज ज्यादा क्यों होते हैं तो चलिए जान लेते हैं।

दोस्तो हम सबसे पहले यह जान लेते है, की हमारे पावर प्लान्ट के अन्दर बिजली कितने वोल्टेज पर बनती है। भारत में बिजली को  6.6 KV या फिर 11KV के अंदर बनाया जाता है, (मतलब 6600 वोल्टेज या फिर 11000 वोल्टेज के अंदर)। 

इसके बाद में हम वहाँ पर एक स्टेपअप ट्रांसफॉर्मर को लगा देते है। यह स्टेपअप ट्रांसफॉर्मर कम वोल्टेज को लेकर उसको ज्यादा वोल्टेज में बदल कर हमे दे देता है। और फिर हम इस हाई वोल्टेज को ट्रांसमिशन लाइन की मदद से भेज देते है।

जैसे- हमने एक स्टेपअप ट्रांसफार्मर के अंदर 11000 वोल्टेज को जोड़ा है, अब हम इस वोल्टेज को हमारी आवश्यक्ता अनुसार बड़ा सकते है। मतलब ट्रांसफार्मर से काफी ज्यादा वोल्टेज ले सकते है। 

अब हम सबसे पहले ट्रांसमिशन लाइन में ज्यादा वोल्टेज को देने के फायदे जान लेते है फायदे)

1. Voltage Drop (वोल्टेज ड्राप)
ट्रांसमिशन लाइन में ज्यादा वोल्टेज भेजने का हमको सबसे पहला फायदा हमको वोल्टेज ड्राप से होता है।

वोल्टेज ड्राप क्या होता है?
इसको हम आसानी से इस तरह समझ सकतें है। हमने एक जगह से जितने वोल्टेज को भेजा लेकिन दूसरी जगह पर हमे पूरे वोल्टेज नही मिल पा रहे है। मतलब बीच के अंदर ही हमारे कुछ वोल्टेज कम हो गए, तो यही वोल्टेज ड्राप कहलाता है।

2. Transmission wire cost reduced
वोल्टेज ज्यादा करने से हमारी ट्रांसमिशन लाइन को बनाने की लागत में कमी मिल जाती है।

ऐसा इस वजह से होता है। क्योंकि हम सभी को पता है की अगर हम वोल्टेज को बढ़ाते है, तो करंट कम हो जाता है। इसी तरह जब हम ट्रांसमिशन लाइन के भी वोल्टेज को ज्यादा करके भेजते है तो हमारी लाइन का करंट कम हो जाता है। 

और हम सभी को पता है, जितना कम करंट हमारे वायर से गुजरेगा हम उतने ही पतले वायर का उपयोग कर सकते है।

इस तरह से हम वोल्टेज को ज्यादा करके करंट को कम कर देते है। जिससे हमको ट्रांसमिशन लाइन का वायर पतला ही लगाना पड़ता है। और ऐसा करने से हमको वायर खरीदने की लागत में काफी कमी मिल जाती है।

3. Reduce Power loss(रिड्यूस पावर लोस्स)
जब हम वोल्टेज को ज्यादा करके भेजते है, तो इसकी मदद से हमारे इलेक्ट्रिकल में होने वाले काफी सारे लॉसेस कम हो जाते है। और हम सभी को पता है की अगर लॉस कम होंगे तो हमारी इलेक्ट्रिकल की एफिशिएंसी बढ़ जाती है। जोकि हमारे इलेक्ट्रिकल उपकरण के लिए काफी फायदेमंद होती है। 

Disadvantage of High Transmission Voltage (वोल्टेज के ज्यादा होने के नुकसान)

1. Insulator size increase(इंसुलेटर साइज इनक्रीस)

यहाँ पर हम उस इंसुलेटर की बात कर रहे है, जो हमारे इलेक्ट्रिक पोल और वायर के बीच में दूरी को बनाकर रखता है।

दोस्तो जैसा की हम आसान तरीके में यह मानते है की, 11000 वोल्टेज के लिए हमको एक डिस्क को लगाना पड़ता है। इसका मतलब यह है की जितना ज्यादा वोल्टेज होगा हमको उतनी ही ज्यादा डिस्क को लगाना पड़ेगा।

2. Switch Gear Cost increase(स्विच गियर साइज इनक्रीस)

दोस्तो अगर हमने हमारे सिस्टम के वोल्टेज को ज्यादा किया है, तो हमको सर्किट ब्रेकर भी ज्यादा वोल्टेज के लाने पड़ेंगे। और हमको यह बात ध्यान हमेशा ध्यान रखनी है की जितने ज्यादा वोल्टेज का सर्किट ब्रेकर या कोई भी उपकरण होगा, वह उतना ही ज्यादा सेंसिटिव और महँगा होता है।

3. Transmission tower height increase

दोस्तो वोल्टेज को बढ़ाने से हमको तीसरा नुकसान ट्रांसमिशन टावर को बनाने की लागत को लेकर होता है।

जब हम ट्रांसमिशन लाइन के वोल्टेज को बढ़ाते है तो, उसके साथ ही हमको हमारे इलेक्ट्रिकल टावर की साइज को भी बढ़ाना होता है। क्योंकि अगर हम ऐसा नही करेंगे तो हमारा फेज टू अर्थ फाल्ट हो जाएगा। इसलीए हमको वोल्टेज के बढ़ने के साथ ही ट्रान्समिशन वायर की जमीन से दूरी भी बढ़ानी पड़ती है। जिसके कारण हमारा ट्रांसमिशन लाइन की cost बढ़ जाती है।

4. Corona loss(कोरोना लोस्स)

कोरोना लोस्स यह लास्ट पॉइंट है और काफी ज्यादा जरूरी है, यह आपको इलेक्ट्रिकल के इंटरव्यू में जरूर बताना है। जब भी हम वोल्टेज को बढ़ाते है तो इसके साथ ही हमारे ट्रान्समिशन लाइन में कोरोना लोस्स भी बढ़ने लग जाता है।

तो दोस्तो उम्मीद है, आज आपके High VoltageTransmission advantages and disadvantages से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल electrical इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये

Published by hitechnicalgyan

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